hindikavita पाया बहोत कुछ और खोया भी बहोत ही नही वे ना मिल पाया उधर भी बेटी भी मानवीय मूल्यों की माला इश्क माँ भी कर्ज़ भी तू हिन्दीकविता बीते हुए दिन तुम hindi kavita इधर भी क्या खोया क्या पाया वे लौटेंगे जैसे बेज़ुबानों की ज़ुबान मर्ज़ भी तुम अपना था वे मिला और जो अपना था

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